Chief Patron's Message
Shri Sushil Kumar Modi
मान्यवर, भारत तप, त्याग और बलिदान का देश रहा है और यहाँ के अनेक महापुरूषों ने सत्य की
रक्षा व परोपकार के लिए अपना सर्वस्व दान कर दिया है। इन दानवीर मनीषियों में महर्षि
दधीचि अन्यतम हैं जिन्होंने देवताओं द्वारा मांगे जाने पर अपना शरीर सहर्ष दान कर दिया
ताकि देवासुर संग्राम में दानवों को हराने हेतु उनकी हड्डियों से बज्र नामक अजेय शस्त्र बनाया
जा सके।
मित्रों, हमारे देह की नश्वरता सर्वविदित है। पाँच तत्वों से निर्मित यह शरीर अपनी आयु
पूरी करने के बाद मृत हो जाता है, किन्तु इसके बाद भी हम अपने शरीर और इसके विभिन्न
अंगों को दान करके एवं अनेक जरूरतमंद लोगों की जान बचाकर इसकी उपयोगिता सिद्ध कर
सकते हैं। हृदय, किडनी, यकृत आदि को देकर जहाँ अनेक लागों के जीवन की रक्षा हो सकती है,
वहीं हमारी आँखें लोगों को नई ज्योति प्रदान कर सकती हैं।
अतः दधीचि देह दान समिति, पटना आपसे विनम्र अपील करती है कि मृत्यु के उपरांत
आप अपने देह और चक्षुओं को दान करने का महान संकल्प लें ताकि जरूरतमंद लोगों को नई
जिन्दगी मिल सके, क्योंकि ‘‘परमारथ के कारने साधुन धरा शरीर‘‘।